सियासत | बड़ा आर्टिकल
शिवपाल के आशीर्वाद से लैस डिंपल के सामने बीजेपी अब भी कोई चुनौती है क्या?
मैनपुरी उपचुनाव ने साल भर के भीतर ही अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) का रिश्ता बदल दिया है - असर ये हुआ है कि डिंपल यादव (Dimple Yadav) के सामने बीजेपी की तरफ से मिल रही चुनौती न के बराबर नजर आने लगी है.
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मैनपुरी के मैदान में डिंपल नहीं, अखिलेश यादव की राजनीति दांव पर लगी है
समाजवादी पार्टी ने मैनपुरी उपचुनाव (Mainpuri Bypoll) में ब्रह्मास्त्र उतार दिया है. कागजों में नाम तो डिंपल यादव (Dimple Yadav) का होगा, लेकिन हकीकत में लड़ाई अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ही लड़ने जा रहे हैं - नतीजा 2024 ही नहीं, यूपी में समाजवाद का भविष्य भी तय करेगा.
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डिंपल यादव के जवाब में भाजपा के पास मैनपुरी से एक ही नाम बचता है
मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव (Mainpuri Loksabha byelection) के लिए समाजवादी पार्टी ने डिंपल यादव (Dimple Yadav) के नाम का ऐलान कर दिया है. अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के इस दांव का जवाब भाजपा कैसे देगी, ये वक्त बताएगा. लेकिन, इतना कहा जा सकता है कि डिंपल यादव के जवाब में भाजपा के पास मैनपुरी से एक ही नाम बचता है. शिवपाल यादव (Shivpal Yadav).
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अपर्णा यादव के मैनपुरी से उपचुनाव लड़ने की अटकलें अखिलेश की चुनौतियां बढ़ा रही हैं
मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव (Mainpuri Loksabha Byelection) में दिवंगत नेता मुलायम सिंह की छोटी बहू और भाजपा नेता अपर्णा यादव (Aparna Yadav) को प्रत्याशी बनाए जाने की अटकलें लग रही हैं. हालांकि, प्रसपा नेता शिवपाल सिंह यादव भी भाजपा का समर्थन मिलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं. लेकिन, चुनौतियां समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की बढ़ रही हैं.
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बीजेपी-अखिलेश दोनों से मोल-भाव कर रहे हैं शिवपाल यादव, डील वहीं होगी जहां फायदा होगा
शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) बीजेपी और अखिलेश यादव दोनों के साथ एक साथ मोलभाव कर रहे हैं और फायदे के हिसाब से ही डील पक्की होगी. जरूरत तो अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को भी है, लेकिन पूरा भरोसा नहीं हो रहा - और बीजेपी (BJP) तो तराजू पर तौल कर ही फैसला लेगी.
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समाजवादी कुनबे में फिर बगावत के आसार हैं!
नतीजों के बाद अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने सपा विधायकों की बैठक बुलाई थी. लेकिन, इस बैठक में अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) को निमंत्रण नहीं दिया गया. जबकि, तकनीकी तौर पर शिवपाल समाजवादी पार्टी के ही विधायक हैं. बैठक में न बुलाए जाने से नाराज शिवपाल ने बगावती तेवर अपना लिए हैं.
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अखिलेश यादव का 'लखनवी' मोर्चा मुलायम जैसा बने बिना कमजोर ही रहेगा
अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने दिल्ली की जगह लखनऊ पर फोकस करने का फैसला किया है, ताकि योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) को कठघरे में खड़ा कर सकें - लेकिन ज्यादा जरूरी ये है कि वो मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) जैसा बनने की कोशिश करें.
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